वायु प्रदूषण से हो रही हैं बच्चों में मानसिक बामारियां :अध्ययन में खुलासा

वायु प्रदूषण से हो रही हैं बच्चों में मानसिक बामारियां :अध्ययन में खुलासा

रोहित पाल

प्रदूषण देश की बड़ी समस्या बन गयी है। आंकड़े उठाकर देखें तो पता चलता है कि प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। वैसे तो पूरी दुनिया प्रदूषण की चपेट में है, लेकिन भारत इस मामले में सबसे शीर्ष पर है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 90 प्रतिशत से भी ज्यादा बच्चे जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, संस्था के अनुसार 2016 में 15 वर्ष से कम उम्र के करीब 6 लाख बच्चों को प्रदूषण की वजह से शवास नली में संक्रमण होने से जान गंवानी पडी थी। अभी हाल ही में किए गये अध्ययन के मुताबिक प्रदूषण की वजह से बच्चों में अवसाद, व्यग्रता, और अन्य मानसिक संबंधी बीमारियां हो रही हैं।

एन्वायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स पत्रिका में छापे गये एक अध्ययन के अनुसार कम समय के लिए भी प्रदूषण की चपेट में आने से भी बच्चों में मानसिक समस्याएं हो सकती हैं, हालांकि यह समस्या एक दो दिन बाद हो सकती है।

वहीं अमेरिका के सिनसिनाटी विशवविधालय में एक शोध किया गया, जिसमें पाया गया कि वंचित तबके के बच्चों में वायु प्रदूषण का असर ज्यादा हो रहा है। सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि उनमें व्यग्रता और आत्महत्या की प्रवत्ति जैसी बीमारियां ज्यादा हो सकती हैं।

सिनसिनाटी चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर के कोल ब्रोकैम्प ने बताया कि यह पहली बार है जब वायु प्रदूषण और बच्चों में व्यग्रता व आत्महत्या की प्रवत्ति जैसी मानसिक बीमारियों के बीच संबंध पाया गया है। उन्होंने आगे कहा इस प्रकार के अध्ययन के लिए ज्यादा अनुसंघानों की जरुरत है। यह बच्चों में हो रही मानसिक बीमारी को रोकने के लिए मददगार साबित होगा। शोध कर्ताओं के अनुसार सिनसिनाटी चिल्ड्रेन्स के दो अन्य अध्ययन प्रकाशित हुए है, उनमें भी वायु प्रदूषण का संबंध बच्चों की मानसिक बीमारी से पाया गया।

अभी हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण पर काबू पाने के लिए दिल्ली

में फिर से ऑड़-ईवन लागू करने को कहा, उन्होंने दिल्लीवासियों से पटाखे न जलाने की भी अपील की। क्योंकि दिल्ली में अक्टूबर और नवंबर के महीने में प्रदूषण कई गुना बढ़ जाता है। जिसका एक काऱण पटाखों का जलाना भी है।

 

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